प्रभु कैसा खेल रचाया है
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
तूने ये आकाश बनाया है
मैंने खम्बा एक लगाया है
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
तूने इतने पद बनाए है
तू बीज कहां से लाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
तूने कितने फूल खिलाए है
तू रंग कहाँ से लाया है
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
तूने कितने इंसान बनाए है,
तू सास कहां से लाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
तूने चाँद और सितारे बनाए है
इन्हे तूने कैसे चिपकाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
येमेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है।
श्रेणी : कृष्ण भजन
प्रभु कैसा खेल रचाया है ये मेरी समझ नहीं आया है || Nirgun Bhajan || Prabhu Kaisa Khel Rachaya Hai
प्रभु कैसा खेल रचाया है ये मेरी समझ नहीं आया है लिरिक्स Prabhu Kaisa Khel Rachaya Hai Lyrics, Krishna Bhajan, by Singer: Chanchal Prajapati Ji
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