जहाँ दया तहा धर्म है
जहाँ दया तहा धर्म है जहाँ लोभ तहां पाप
जहाँ क्रोध तहा पाप है जहाँ क्षमा तहां आप
जहाँ क्रोध तहा पाप है जहाँ क्षमा तहां आप
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय
माली सींचे सौ घडा ऋतू आए फल होए
माली सींचे सौ घडा ऋतू आए फल होए
कबीरा ते नर अँध है गुरु को कहते और
हरि रूठे गुरु ठौर है गुरु रूठे नहीं ठौर
हरि रूठे गुरु ठौर है गुरु रूठे नहीं ठौर
पाँच पहर धंधे गया तीन पहर गया सोय
एक पहर हरि नाम बिन मुक्ति कैसे होय
एक पहर हरि नाम बिन मुक्ति कैसे होय
कबीरा सोया क्या करे उठि न भजे भगवान
जम जब घर ले जाएँगे पड़ी रहेगी म्यान
जम जब घर ले जाएँगे पड़ी रहेगी म्यान
माया मरी न मन मरा मर मर गये शरीर
आषा तृष्णा ना मरी कह गये दास कबीर
आषा तृष्णा ना मरी कह गये दास कबीर
शीलवंत सबसे बड़ा सब रतनन की खान
तीन लोक की सम्पदा रही शील में आन
तीन लोक की सम्पदा रही शील में आन
तीन लोक की सम्पदा रही शील में आन
श्रेणी : गुरुदेव भजन
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