भज ले प्राणी रे अज्ञानी
हम्म हम्म हम्म हम्म ..........
भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी,
कहाँ तू भटक रहा है यहाँ क्यों भटक रहा है
भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी,
कहाँ तू भटक रहा है यहाँ क्यों भटक रहा है
झूठी काया झूठी माया चक्कर में क्यों आया
जगत में भटक रहा है जगत में भटक रहा है
झूठी काया झूठी माया चक्कर में क्यों आया
जगत में भटक रहा है जगत में भटक रहा है
नर तन मिला है तुझे खो क्यों रहा है प्यारे खेल में
नर तन मिला है तुझे खो क्यों रहा है प्यारे खेल में
कंचन सी काया तेरी उलझी है विषयों के बेल में
सुख और दारा वैभव सारा कुछ भी नहीं तुम्हारा
व्यर्थ सिर पटक रहा है क्यों व्यर्थ भटक रहा है
भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी,
कहाँ तू भटक रहा है यहाँ क्यों भटक रहा है
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म ...................
चंचल गुमानी मन अब तो जनम को सँवार ले
फिर न मिले तुझे अवसर ये ऐसा बारंबार रे
रे अज्ञानी तज नादानी भज ले प्रभु को पाणी
व्यर्थ सर पटक रहा है व्यर्थ क्यों भटक रहा है
भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी,
कहाँ तू भटक रहा है यहाँ क्यों भटक रहा है
बड़े भाग्य मानुष तन पाया तुमने रे
सुर दूर लव सद ग्रंथ ही गावा सुन ले रे
झूठी काया झूठी माया चक्कर में क्यों आया
देवेंद्र क्यों भटक रहा है व्यर्थ क्यों भटक रहा है
भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी,
कहाँ तू भटक रहा है यहाँ क्यों भटक रहा है
यहाँ क्यों भटक रहा है यहाँ क्यों भटक रहा है
श्रेणी : गुरुदेव भजन
सदी का सबसे कड़वा निर्गुण भजन - " भज ले प्राणी रे अज्ञानी " - Bhaj Le Prani Re Agyani - Nirgun Bhajan
भज ले प्राणी रे अज्ञानी लिरिक्स Bhaj Le Prani Re Agyani Hindi Bhajan Lyrics, Gurudev Bhajan, by Singer: Devendra Pathak Ji
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