एक तेरे दीद की चाहत है लिरिक्स Ek Tere Deed Ki Chahat Hai Lyrics Krishna Bhajan
तर्ज :- हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर के तरह
( मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है,
सांवरा है, रसीला है, न गोरा है ना काला है,
कभी सपनों में आ जाता, कभी रूहपोश हो जाता,
ये मनमोहन ने छलने का, निराला ढंग निकाला है,
वृंदावन के कण कण का मरम न जाने कोए,
जहां डाल डाल और पात पात में राधे राधे होए।। )
एक तेरे दीद की चाहत है बांसुरी वाले,
बेकरारों को तू, करार का मौका दे दे,
एक तेरे दीद की चाहत है.....
फूलों के हार की कुछ लाज तो रख ले कान्हा,
लाए उपहार का तू स्वाद तो चख ले कान्हा,
उभरते प्रेम को, इज़हार का मौका दे दे,
एक तेरे दीद की चाहत है......
ख्वाब लाखों के हैं दिलों में, खयाल दीद का है,
सवालियों के दिलों में भी, सवाल दीद का है,
अपने दर्शन, अपने सत्कार, का मौका दे दे,
एक तेरे दीद की चाहत है.....
चर्चा लाखों से सुनी है तेरे को उपकारों की,
भीख दे दर की हमें भी अपने दीदारो की,
राजू को भी जरा, दीदार का मौका दे दे,
एक तेरे दीद की चाहत है......
श्रेणी : कृष्ण भजन
एक तेरे दीद की चाहत है लिरिक्स Ek Tere Deed Ki Chahat Hai Lyrics, Krishna Bhajan, Radha Rani Bhajan
Note :- वेबसाइट को और बेहतर बनाने हेतु अपने कीमती सुझाव नीचे कॉमेंट बॉक्स में लिखें व इस ज्ञानवर्धक ख़जाने को अपनें मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें।