मैया समझाए रही पार्वती तू रोएगी पछताएगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी.....
भोला पर्वत को वासी है, बेटी तुझे बता दियो काशी है,
वहां पड़े जोर की ठंड लल्ली तू सिकुड़ सिकुड मर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी......
वाके हाथ कमंडल पीतल का, बाघमबर पहरे शेरों का,
डमरू की तान पर नाचे भूत तू देख देख डर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी......
वह तो 80 साल का बुड्ढा है, वाके सिर पर बंद रहे हो जुड़ा है,
वाके गले भुजंगी नाग लली री तू देख देख डर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी......
बेटी भांग धतूरा वह खावे, सिलबट्टा तोपे पिसबाबे,
वह तो रहे नशे में भंग लली रे तू घोट घोट मर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी......
वह करता बैल सवारी है, वाके संघ ना घोड़ा गाड़ी है,
पैरन में पड़ जाए छाले लली री तू चल चल के मर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी......
श्रेणी : शिव भजन
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