गरज रही रण बीच कालका गरज रही,
गरज रही मैया बिखर रही,
गरज रही रण बीच.....
पहले हाथ में ध्वजा विराजे,
दूजे हाथ में कटार कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
तीजे हाथ त्रिशूल विराजे,
तो चौथे फरसा डार कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
पांचवें हाथ में त्रिशूल धरो है,
छठवें में खप्पर सोहै कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
सातवें हाथ में गदा जो सोहै,
आठवे सुदर्शन चक्र कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
नौवें हाथ से शंख बजावे,
दसवे धनुष लिए तान कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
दूर-दूर सब हुए रण भीतर,
मार रही किलकार कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
अस्त्र शास्त्र सब छूटन लागे,
बही खून की धार कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
थरथर काप रहो है असुर दल,
पीछे हट हट जाए कालका गरज रही,
हाथ जोड़ सब देवता ठाणे,
बोल रहे जय जयकार कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
रूठी देवी मानत नाहै,
ज्वाला भड़की जाए कालका गरज रही,
गरज रही रण बीच.....
श्रेणी : दुर्गा भजन
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