नवरात्रों में मैया मेरी हद कर गई
नवरात्रों में मैया मेरी हद कर गई,
हरे गुलाबी नोटों से मेरी झोली भर दी....
पहले तो मेरे एक झोपड़ी,
आज मेरे कोठी दुमहला कर दी,
हरे गुलाबी नोटों से मेरी झोली भर दी.....
पहले तो मेरे अन्न की कमी थी,
आज मेरे बोरी पर बोरी लग गई,
हरे गुलाबी नोटों से मेरी झोली भर दी.....
पहले तो मेरे धन की कमी थी,
आज मेरे बैंक तिजोरी भर दी,
हरे गुलाबी नोटों से मेरी झोली भर दी....
पहले तो मेरे दूध की कमी थी,
आज मेरे घरों में भैंस बंध गई,
हरे गुलाबी नोटों से मेरी झोली भर दी.....
पहले तो मेरे साइकिल की कमी थी,
आज मेरी गाड़ी फरारी कर दी,
हरे गुलाबी नोटों से मेरी झोली भर दी.....
श्रेणी : दुर्गा भजन
नवरात्रि के पावन अवसर पर, जब माँ दुर्गा की कृपा बरसती है, तब जीवन में अपार समृद्धि और खुशियाँ आ जाती हैं। यह कविता उसी दिव्य कृपा का आभार है, जिसमें पहले की कठिनाइयों से जूझ रहे व्यक्ति की झोली देवी माँ के आशीर्वाद से हरे गुलाबी नोटों से भर जाती है।
पहले जो झोपड़ी में रहता था, आज उसे आलीशान कोठी मिलती है। अन्न की कमी, धन की तंगी, दूध की कमी और सवारी के लिए साइकिल जैसी समस्याएँ एक-एक करके दूर हो जाती हैं, और वह व्यक्ति शाही जीवन जीता है। हरे गुलाबी नोटों की झोली हर समस्या का समाधान बन जाती है।
यह नवरात्रि हमें यह याद दिलाती है कि अगर हमारी मेहनत और श्रद्धा सच्ची हो, तो माँ की कृपा से हर मुश्किल आसान हो जाती है।