मत ना ले अवतार सांवरे
मत ना ले अवतार सांवरे छाया कलयुग भारी रे,
चाल बदल गई हवा बदल गई बदल गया इंसान रे....
किस के रथ पर बैठोगे और कोई ना अर्जुन पावे रे,
किसका थोड़े घमंड सांवरे सारे तो दुर्योधन रे,
मत ना ले अवतार.....
कोई मिले ना मात यशोदा कैसे माखन खाओगे,
राधा जैसा प्रेम रहा ना कैसे रास रचोओगे,
मत ना ले अवतार.....
नहीं है दोस्त सुदामा जैसे छुरी पीठ में मार रहे,
किसकी मटकी फोडोगे और कोई ना दूध पिलावे रे,
मत ना ले अवतार.....
किसका चीर बढ़ओगे अब रोज ही चीर उतरते रे,
नारी की कोई कदर रही ना सारे अब दुशासन रे,
मत ना ले अवतार.....
भाई भाई का प्यार रहा ना साला धाक जमाबे रे,
खाली हाथों बहन चली जा साली सूट सिमावे रे,
मत ना ले अवतार.....
कुए भी सुने ताल भी सुने नहीं कदम के पेड़ रहे,
कैसे मुरली बजाओगे अब घर-घर डीजे बाज रहे,
मत ना ले अवतार.....
कहनी थी जो पहली सांवरे आगे मर्जी तेरी रे,
तेरी लीला को तू ही जाने हमारे बस की कुछ ना रे,
मत ना ले अवतार सांवरे......
श्रेणी : कृष्ण भजन

कलयुग की सच्चाई पर आधारित ये पंक्तियाँ हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि अगर सांवरे (श्रीकृष्ण) आज के युग में अवतार लें तो क्या होगा?
अब अर्जुन जैसे नायक नहीं, बल्कि हर ओर दुर्योधन की भीड़ है। प्रेम, विश्वास और निष्ठा जैसे मूल्य लुप्त हो चुके हैं। न यशोदा जैसी मां, न राधा जैसा प्रेम। अब तो सुदामा जैसे सच्चे मित्र भी कहां? हर जगह छल-कपट और स्वार्थ है। माखन और मटकी की जगह अब सिर्फ धोखे और अपमान हैं। नारी का सम्मान अब इतिहास की बात लगती है, जहां हर कदम पर दुशासन मिलते हैं।
सांवरे से प्रार्थना है कि वो अब अवतार न लें, क्योंकि यहां सत्य और प्रेम के लिए कोई जगह नहीं बची। बस उनकी लीला को वही जानें, हम तो बस इस कलयुग में भटक रहे हैं।