भेदी भेद ना खुलने पाए लिरिक्स Bhedi Bhed Na Khulne Paaye Bhajan Lyrics Krishna Bhajan
भेदी भेद ना खुलने पाए,
चाहे धरती गगन टकराये,
चाहे प्राण रहे या जाए,
पर भेदी भेद ना खुलने पाए....
मिले जब राम सीता से, टहलते समय फुलवारी में,
सिया को राम प्यारे थे, लगी सीता उन्हें प्यारी,
ध्यान बरदान का आया तो, प्रेम आंसू लगे बहने,
सबब पूछा जब सीता ने तो, माँ गौरी लगी कहने,
चाहे लाख कोई समझाए,
शिव धनुष टूट नही जाए,
चाहे धरती गगन टकराये,
पर सीता भेद ना खुलने पाए.....
तिलक श्री राम का होगा, प्रफुल्लित थे अवध वासी,
कलेजे पर गिरी बिजली, चले जब बनके सन्यासी,
कौन जानता था कि, श्री राम बनको जाएंगे,
रूधिर कर लेने वाले, वंस रावण का मिटायेंगे,
दसरथ जी प्राण गवाए,
भाई भरत जी धुनि रमाये,
सब केकई को दोष लगाए,
पर भेदी भेद ना खुलने पाए.....
सयन कैरते थे विष्णु छिड़ सागर, सेस सैया पर,
रहा सागर में एक कछुआ, हरि चरणों मे दृष्टि कर,
वही है राम नारायण, शेष रूप है लक्छ्मण,
बना कछुआ वही केवट, बिचारे प्रभु अपने मन,
हठ किया केवट प्रभु के, पद कमल पहचान कर,
हस दिए मेरे प्रभु, केवट की इकच्चा जानकर,
केवट क्यु देर लगाए,
क्यु पानी नही भरलाये,
लो लेता हूं चरण धुलाये,
पर केवट भेद ना खुलने पाए....
जानकी हारने की युक्ति, सूझी रावण निचको,
सीघ्र ही बुलाके, समझाने लगा मारीच को,
पंचवटी जाना मामा, सुबह जब छिटके किरण,
जानकी का मन लुभाना, बनके सोनेका हिरन,
जब पकड़ने के लिए, श्री राम लक्छ्मण जाएंगे,
उसी समय हम साधु बनके, जानकी हर लाएंगे,
देखो बात ना मेरी भुलाए,
चाहे रघुवर तीर चलाये,
चाहे प्राण रहे या जाए,
पर मामा भेद ना खुलने पाए.....
श्रेणी : कृष्ण भजन
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