बलम मोहे ले चल रे मैया के दरबार
आज रात मने सपना आया, तेरी होये रहीजय जयकार,
बलम मोहे ले चल रे मैया के दरबार.....
ना चाहिए तेरी कोठी बंगला ना चाहिए तेरी कार,
बलम मोहे ले चल रे मैया के दरबार....
ना चाहिए तेरी इडली रे ढोसा ना चाहिए पकवान,
बलम मोहे ले चल रे मैया के दरबार....
ना चाहिए मोहे संग की सहेली ना चाहिए रिश्तेदार,
बलम मोहे ले चल रे मैया के दरबार.....
ना चाहिए तेरी रेशमी साड़ी ना चाहिए सोलह श्रृंगार,
बलम मोहे ले चल रे मैया के दरबार.....
ना चाहिए तेरे सेर सपाटे मोहे दर्श करा एक बार,
बलम मोहे ले चल रे मैया के दरबार......
श्रेणी : राम भजन

यह गीत एक भक्तिमय अभिव्यक्ति है, जिसमें एक व्यक्ति अपने मन की इच्छाओं और सांसारिक भोगों से मुक्ति पाने की इच्छा व्यक्त करता है। वह चाहता है कि उसे माता के दरबार में ले जाया जाए, जहां उसे संसारिक सुख-साधनों की आवश्यकता नहीं है। गीत के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि वास्तविक सुख और शांति केवल ईश्वर की भक्ति में है।
इस गीत में संसारिक वस्तुओं जैसे कि बंगला, कार, पकवान, और साज-श्रृंगार की आवश्यकता से इंकार किया गया है, और केवल ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद की कामना की गई है। यह एक बहुत ही प्रभावशाली और आत्मिक गीत है, जो हमें याद दिलाता है कि भक्ति और आस्था से बढ़कर कोई चीज़ नहीं है।