सज धज कर बैठी
सज धज कर बेठी मॉ,
ओर मन्द मन्द मुस्काए,
आओ नज़र उतारे मैया की,
मेरी माँ को नज़र न लग जाये।
कोई काजल डिब्बी ले आओ,
मेरी माँ को टीका लगा जाओ,
मेरी प्यारी प्यारी मैया को,
भगतो की नज़र ना लग जाये,
जब मैया चलती पग रख कर,
पैरो के घुंघरू बोल रहे,
इस सुंदर सुंदर पायल को,
कंजकों की नज़र ना लग जाये,
मेरी माँ का मुखड़ा भोला हैं,
चुनरी मे चंदा लिपटा हैं,
इस सोने सोने मुखड़े को,
चंदा की नज़र न लग जाये,
मेरी माँ की लीला न्यारी हैं,
तेरी सुंदर शेर सवारी हैं,
इस जग की पालन हारी को,
कही खुद की नज़र ना लग जाये,
श्रेणी : दुर्गा भजन
Saj Dhaj Kar Baithi Maa
सज धज कर बैठी माँ, एक अनोखा भजन है जो माँ दुर्गा की महिमा का बखान करता है। इस भजन में माँ की सुंदरता, शक्ति और उनकी कृपा की बात की गई है। माँ की मुस्कान से लेकर उनके पगों के घुंघरू तक, हर एक तत्व को बड़े प्यार और श्रद्धा से प्रस्तुत किया गया है। इसमें यह भी व्यक्त किया गया है कि माँ के रूप और उनकी लीला से कोई भी बुरी नज़र प्रभावित न हो, यही हमारी श्रद्धा और प्रार्थना है। भजन में माँ के प्रति अनन्य श्रद्धा और भक्ति का भाव व्यक्त किया गया है, जो भक्तों को माँ की शरण में पूरी तरह समर्पित कर देता है। इस भजन का भाव भक्तों के दिलों को छूने वाला और मन को शांति देने वाला है।