सागर पर उतारी गागरिया लिरिक्स Sagar Par Utaari Gaagariya Lyrics Shiv Bhajan ( Shivratri Special )
सकुचाती चली इठलाती चली,
चली पनिया भरन शिव नारी रे,
सागर पर उतारी गागरिया.....
रूप देखकर समुंदर बोला कौन पिता महतारी,
कौन गांव की रहने वाली कौन पुरुष घर नारी,
बता दे कौन पुरुष घर नारी,
होले होले गिरजा बोले छायो है रूप अपार रे,
सागर पर उतारी गागरिया,
सकुचाती चली इठलाती चली.....
राजा हिमाचल पिता हमारे नैनावत महतारी,
भोलेनाथ हैं पति हमारे मैं उनकी घरवाली,
बता दूं मैं उनकी घरवाली,
जल ले जाऊं पति नीलाऊं सुन लो जी वचन हमार रे,
सागर पर उतारी गगरिया,
सकुचाती चली इठलाती चली.....
सागर बोला छोड़ भोला को घर घर अलख जगावे,
14 रतन भरे मेरे में तू बैठी मौज उड़ावे,
ओ गोरा बैठी मौज उड़ावे,
पीके भंगिया वह रंगरसिया क्यों सह रही कष्ट अपार रे,
सागर पर उतारी गागरिया,
सकुचाती चली इठलाती चली.....
क्रोधित होकर चली वह गौरा भोले के ढिंग आई,
सागर ने जो वचन कहे वह शिव को रही सुनाई,
रे गौरा शिव को रही सुनाई,
शिव कियो यतन कियो सागर मंथन लिए 14 रतन निकाल रे,
सागर पर उतारी गागरिया,
सकुचाती चली इठलाती चली.....
श्रेणी : शिव भजन
सागर पर उतारी गागरिया लिरिक्स Sagar Par Utaari Gaagariya Lyrics,Shiv Bhajan In Hindi, Shivratri Special Song
Note :- वेबसाइट को और बेहतर बनाने हेतु अपने कीमती सुझाव नीचे कॉमेंट बॉक्स में लिखें व इस ज्ञानवर्धक ख़जाने को अपनें मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें।