घनश्याम यह माया तेरी लिरिक्स Ghanshyam Yah Maya Teri Lyrics Krishna Bhajan
ग्यारस व्रत मैं नित करती हे घनश्याम यह माया तेरी,
हरि हरि बोल मैं गेहूं पीसती
राधे राधे बोल मैं गेहूं पिसती
सासुल रोज लड़ा करती हे घनश्याम यह माया तेरी...
तू क्यों लड़े मेरी धर्म की सासुल,
दोनों पैर दबा दूंगी हे घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
हरि हरि बोल मैं अंगना बुहरती,
ननदुल रोज लड़ा करती हे घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
तू क्यों लड़े मेरी धर्म की नंदूल,
तेरा ब्याह करा दूंगी ही घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
जब नंदूलू तुम पीहर आओ,
आदर तेरा कर देती है घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
हरि हरि बोल मैं भोजन बनाती,
जिठनी रोज लड़ा करती हे घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
तुम क्यों लड़ो मेरी धर्म की जिठनी,
छप्पन भोग बना देती हे घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
हरि जी के घर से आई रे पालकी,
उस में बैठ में चाल पड़ी हे घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
ननंद जेठानी मेरी रोमन लागी,
हमको साथ लगा लेती है घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
पांच एकादशी सासुल तुमको दूंगी,
तुम्हें हरि जी से मिला दूंगी हे घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
ननंद जिठानी हूं मेरी ग्यारस करना,
तुम्हें बैकुंठ में मिल जाऊंगी हे घनश्याम यह माया तेरी,
ग्यारस व्रत मैं नित करती.....
श्रेणी : कृष्ण भजन
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