बंगला अजब बना महाराज
बंगला अजब बना महाराज जिसमें नारायण बोले,
नारायण बोले यामें नारायण बोले,
बंगला अजब बना महाराज जिसमें नारायण बोले॥
पांच तत्वों की ईट बनाई तीन गुनो का गारा,
छत्तीसों की छत बनाई चेतन है चेजारा,
बंगला अजब बना.....
इस बंगले में दस दरवाजे बीच पवन का खंबा,
आवत जावत कछु नहीं देखे यह भी एक अचंभा,
बंगला अजब बना....
इस बंगले में चौपड़ मांडी खेले पांच पच्चिसा,
कोई तो बाजी हार चला है कोई चला जग जीता,
बंगला अजब बना....
इस बंगले में पातर नाचे मनवा ताल बजावे,
निरित सूरत का बांध घुंघरू राग छत्तीस गावे,
बंगला अजब बना.....
कहत कबीर सुनो भाई साधु जिन यह बंगला गाया,
इस बंगले का गावन हारा बहुरि जन्म नहीं पाया,
बंगला अजब बना.....
श्रेणी : विष्णु भजन
यह गीत एक अद्भुत बंगले की कहानी है, जो भगवान श्री नारायण के वचनों से निर्मित है। इस बंगले में पांच तत्वों से बनी ईंटें और तीन गुणों का गारा प्रयोग किया गया है। इसकी छत छत्तीस रूपों में बनी है और इसके दरवाजों से हवा का खंबा गुजरता है। इस बंगले में हर प्रकार का रहस्य और अचरज है, जैसे चौपड़ मांडी का खेल, जहां हर खिलाड़ी की किस्मत बदलती रहती है। यहां नृत्य और संगीत की लहरें हैं, जिसमें निरित सूरत और घुंघरू की आवाजें गूंजती हैं। कबीर साहब के शब्दों में, यह बंगला अनोखा है, और जो इसे गाता है, वह फिर से जन्म नहीं लेता। यह एक अद्भुत रचना है, जो जीवन के रहस्यों और उनके अद्भुत स्वरूपों को दर्शाती है।