यह कंचन का हिरण
यह कंचन का हिरण, नाथ हमें लगता प्यारा है,
सर से पैरों तक है सोना, इसकी छाल हमें ला देना,
दीनबंधु भगवान् यही एक अरज हमारी है,
यह कंचन का हिरण नाथ हमें लगता प्यारा है.....
आगे हिरण, नाथ भये पीछे,
एक धनुष का बाण, राम हिरण को मारा है,
यह कंचन का हिरण नाथ हमें लगता प्यारा है.....
मारा बाण लगो, हिरणl को,
हाय लखन, हाय लखन, अंत में राम पुकारा है,
यह कंचन का हिरण नाथ हमें लगता प्यारा है.....
बोली जानकी, सुनो देवर लक्ष्मण,
तुमरे भाई पर विपति जाय, कुछ करो सहारा है,
यह कंचन का हिरण नाथ हमें लगता प्यारा है.....
बोले लक्ष्मण, सुनो भाभी सीता,
तीन लोक के नाथ, उन्हें कौन मारन वाला है,
यह कंचन का हिरण नाथ हमें लगता प्यारा है.....
कटुक बचन, जब बोली जानकी,
धरी धनुहे की रेख चला रघुवंश को मारा है,
यह कंचन का हिरण नाथ हमें लगता प्यारा है.....
इतने में है, आवा रावणा,
धरि भिक्षुक का भेष, सिया को लै लंक सिधारा है,
यह कंचन का हिरण नाथ हमें लगता प्यारा है.....
श्रेणी : राम भजन
यह कंचन का हिरण, नाथ हमें लगता प्यारा है l Yah Kachan ka Hiran Nath, Hame Lagta Pyara Hai l Bhajan
"यह कंचन का हिरण, नाथ हमें लगता प्यारा है" एक प्रसिद्ध राम भजन है, जिसे श्रद्धालु बड़े श्रद्धा भाव से गाते हैं। इस भजन में राम के प्रति अपार भक्ति और प्रेम व्यक्त किया गया है। भजन के बोलों में कंचन (सोने) के हिरण का उल्लेख है, जिसे राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर शिकार किया। इस भजन के माध्यम से भक्ति, निष्ठा और राम की महिमा का गुणगान किया गया है। इसे सुनकर भक्तों का मन शांत और प्रसन्न हो जाता है, और वे भगवान श्रीराम की महिमा का अनुभव करते हैं। भजन में जब सीता माता और लक्ष्मण के बीच संवाद होता है, तो यह भक्तों को राम के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों से परिचित कराता है।
इस भजन को सुनते हुए भक्तों को भक्ति और विश्वास का अहसास होता है, और वे राम के प्रति अपनी श्रद्धा को और भी प्रगाढ़ करते हैं।