रचाए सृष्टि को जिस प्रभु ने लिरिक्स Rachae Hai Srishti Ko Jis Prabhu Ne Lyrics Krishna Bhajan
फसी भवर में थी मेरी नैया।
रचा है श्रष्टि को जिस प्रभु ने,
रचा है श्रष्टि को जिस प्रभु ने,
वही ये श्रष्टि चला रहे है,
जो पेड़ हमने लगाया पहले,
उसी का फल हम अब पा रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,
वही ये श्रष्टि चला रहे है।।
इसी धरा से शरीर पाए,
इसी धरा में फिर सब समाए,
है सत्य नियम यही धरा का,
है सत्य नियम यही धरा का,
एक आ रहे है एक जा रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,
वही ये श्रष्टि चला रहे है।।
जिन्होने भेजा जगत में जाना,
तय कर दिया लौट के फिर से आना,
जो भेजने वाले है यहाँ पे,
जो भेजने वाले है यहाँ पे,
वही तो वापस बुला रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,
वही ये श्रष्टि चला रहे है।।
बैठे है जो धान की बालियो में,
समाए मेहंदी की लालियो में,
हर डाल हर पत्ते में समाकर,
हर डाल हर पत्ते में समाकर,
गुल रंग बिरंगे खिला रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,
वही ये श्रष्टि चला रहे है।।
रचा है श्रष्टि को जिस प्रभु ने,
वही ये श्रष्टि चला रहे है,
जो पेड़ हमने लगाया पहले,
उसी का फल हम अब पा रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,
वही ये श्रष्टि चला रहे है।।
श्रेणी : कृष्ण भजन
रचाए सृष्टि को जिस प्रभु ने (Rachae Shrishti ko jis prabhu ne)---Bhajan by Dhiraj kant. 8010788843.
रचाए सृष्टि को जिस प्रभु ने लिरिक्स Rachae Hai Srishti Ko Jis Prabhu Ne Lyrics, Krishna Bhajan by Singer : Dhiraj kant (8010788843)
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