सुनो सुनो एक कहानी सुनो
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
ना राजा की ना रानी की,
ना आग हवा ना पानी की,
कहानी है शीश के दानी की,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
शीश के दानी श्याम धनी की,
तुम्हें सुनाऊं गाथा,
घटोट्कच थे पिताश्री,
मोरवी इनकी माता,
जन्म हुआ जब इनके,
तन पे बाल साथ में आए,
इसीलिए सारे जग में बर्बरीक कहलाए,
छोटी सी आयु में सीखी धनुष विद्या सारी,
इनको वर देने खुद आए भोला भंडारी,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
जगदंबा को खुश करने को हवन यज्ञ नित किए,
खुश होकर जगदंबा तीन बाण इन्हें दिए,
कुरुक्षेत्र में महाभारत जब शुरू होने था वाला,
युद्ध देखने घर से निकला मोरबी का लाला,
मां ने जाते वक्त का था हारे का साथ निभाना,
दान कोई रास्ते में मांगे ना उसको ठुकराना,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
मां के चरणों शीश झुका कर,
नीले की असवारी,
तीन बाण तरकस में लेकर,
चला बीरबल धारी,
रण में आता देख बीर को मन घबराए मोहन,
छल करने को रूप बदलकर सन्मुख आए मोहन,
बर्बरीक से बोले मोहन कहां पर तुम जाते हो,
चेहरे से मोरे राजा के पुत्र नजर आते हो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
उस ब्राह्मण की वाणी सुनकर होठ वीर ने खोलें,
जाता हूं मैं युद्ध करण को हाथ जोड़कर बोले,
ब्राहमण रूपी मोहन बोले क्यों मजाक करते हो,
सूर्यवीर से लड़ करके क्यों बिना मौत मरते हो,
लौट के घर को वापस जाओ मत इतराओ हो ज्यादा,
अभी उम्र है बाली तेरी बदलो अपना इरादा,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
बर्बरीक बोले मोहन से ना डर है वीरों का,
तुमको बिल्कुल भी अंदाजा नहीं मेरे तीरों का,
अच्छे-अच्छे वीरों के तन में घुस भर दूंगा,
एक बाण से महाभारत का युद्ध खत्म कर दूंगा,
ब्राहमण रूपी मोहन बोले नामीठा वचन सुनाओ,
एक बाण से पीपल के पत्ते छेद दिखाओ,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
इष्ट देव का सुमिरन करके अपना बाण चलाया,
सारे पत्ते छेद बाण फिर पैर पे आ मंडराया,
पैर हटाओ पैर के नीचे कोई होगा पत्ता,
अगर पैर में बाण लगा तो लहू निकलेगा पक्का,
ऐसी वाणी सुनकर के दिल मोहन का भर आया,
ब्राह्मण रूप छोड़कर अपना भव्य रुप दिखलाया,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
मनमोहन का रूप देखकर बर्बरीक चकराया,
हाथ जोड़कर बोला कैसे ब्राह्मण रूप बनाया,
मोहन बोले सुनो वीर मैं बात बताऊं सच्ची,
एक वीर के बलिदान की बलि मांग रही चंडी,
तीन वीर है इस दुनिया में मैं तुम या अर्जुन,
हम तीनों में कौन उचित है करो जरा तुम चिंतन,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
वाणी सुनकर बर्बरीक ने मुख से वचन उचारा,
कैसे पूरा होगा भगवन मन का पापा हमारा,
महाभारत का युद्ध में देखु इच्छा थी बड़ी भारी,
मेरी इच्छा पूरी करना गोवर्धन गिरधारी,
इतना कहकर बर्बरीक ने धड़ शीश उड़ाया,
मोहन को दिया शीश दान में अरसा नहीं लगाया,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
थोड़ा सा अमृत डाला मोहन ने उस सिर पे,
युद्ध देखने के लिए शीश टाक दीया पीपल पे,
कटे हुए उस सिर ने देखा रण का सभी नजारा,
किसी योजना से कौन लड़ा था किसने किसको मारा,
युद्ध खत्म जब हुआ तो सिर के पास गए मनमोहन,
रण में तुमने क्या क्या देखा पूछ रहे हैं मनमोहन,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
कटा हुआ सिर हंसकर बोला सत्य कहूं मैं मोहन,
रणभूमि में दिख रहा था केवल चक्र सुदर्शन,
प्रभु तुम्हारी लीला न्यारी क्या समझेगा अनाड़ी,
बने सारथी तुम अर्जुन के तुम देख कर सीना सारी,
कोई ना भेद तुम्हारा जाने तुम हो अंतर्यामी,
मुझको महाभारत दिखलाया जय हो तुम्हारी स्वामी,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
बर्बरीक का भाग देख कर बोले कृष्ण मुरारी,
मेरे नाम से ही कलयुग में पूजा होगी तुम्हारी,
अपनी मां को दिया वचन भी पूर्ण होगा तुम्हारा,
तेरे दर पे सदा मिलेगा हारे हुए को सहारा,
राजस्थान में धाम तुम्हारा होगा बड़ा अलबेला,
ग्यारस और बारस को लगेगा दर पर भारी मेला,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
मोहन के वर के कारण धाम बना खाटू में,
बर्बरीक श्री श्याम का नाम पड़ा खाटू में,
कहे अनाड़ी जो भी दिल से श्याम निशानी चढ़ाए,
सारी मुश्किल हल हो जाती मन इच्छा फल पाए,
मस्ताना भी श्याम धनी पे हो बेठा बलिहारी,
कृपा सदा बनाए रखना बाबा लखदाता री,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
ना राजा की ना रानी की,
ना आग हवा ना पानी की,
कहानी है शीश के दानी की,
श्रेणी : खाटु श्याम भजन