सूर्य देव जी की आरती लिरिक्स | Surya Dev Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi | Aarti Sangrah | BY Mohit Sharma
ऊँ जय कश्यप नन्दन, ऊँ जय अदिति नन्दन
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन
ऊँ जय कश्यप नन्दन ।
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी
ऊँ जय कश्यप नन्दन ।
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली
ऊँ जय कश्यप नन्दन ।
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी
ऊँ जय कश्यप नन्दन ।
कमल समूह विकाशक, नाशक त्रय तापा
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा
ऊँ जय कश्यप नन्दन ।
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी
ऊँ जय कश्यप नन्दन ।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै
ऊँ जय कश्यप नन्दन ।
ऊँ जय कश्यप नन्दन, ऊँ जय अदिति नन्दन
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन
ऊँ जय कश्यप नन्दन ।
श्रेणी : आरती संग्रह
सूर्य देव जी की आरती लिरिक्स | Surya Dev Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi | Aarti Sangrah | BY Mohit Sharma
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