जब से गुरु दर्श मिला मनवा मेरा खिला खिला Jab Se Guru Darsh Mila Hai Lyrics Jain Bhajan

जब से गुरु दर्श मिला मनवा मेरा खिला खिला





पूछो मेरे दिल से यह पैगाम लिखता हूँ, गुजरी बाते तमाम लिखता हूँ
दीवानी हो जाती वो कलम, हे गुरुवार जिस कलम से तेरा नाम लिखता हूँ

जब से गुरु दर्श मिला, मनवा मेरा खिला खिला
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे
मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

फांसले मिटा दो आज सारे, होगये गुरूजी हम तुम्हारे
मनका का पंछी बोल रहा, संग संग डोल रहा
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

आज यह हवाएँ क्यों महकती, आज यह घटाएं क्यों चहकती
अंग अंग में उमंग, बड़ रही है संग संग
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

तुम्ही ही समय सार मेरे, तुम्ही हो नियम सार मेरे
खिल रही है कलि कलि, महक रही गली गली
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे



श्रेणी : जैन भजन











Note :- वेबसाइट को और बेहतर बनाने हेतु अपने कीमती सुझाव नीचे कॉमेंट बॉक्स में लिखें व इस ज्ञानवर्धक ख़जाने को अपनें मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें।

👇🚩 Leave a comment 🚩👇

आपको भजन कैसा लगा हमे कॉमेंट करे। और आप अपने भजनों को हम तक भी भेज सकते है। 🚩 जय श्री राम 🚩

Previous Post Next Post
×