शम्भू हिंदी मीनिंग शिव को शम्भू क्यों कहते हैं Shiv Ko Shambhu Kyo Kahate Hain Shambhu Meaning शम्भू का मतलब क्या होता है ?
शिव को अनेकों नाम से पुकारा जाता है जिनमे 'शम्भू' भी एक नाम है। शिव को शम्भू इसलिए कहते हैं की वे स्वयंभू हैं। वे जनम मरण और काल के अधीन नहीं हैं। स्वयंभू शुद्ध शब्द है जिसका अर्थ स्वंय में परिपूर्ण होना होता है।
शिव ना तो जनमें हैं और नाहीं इनकी मृत्यु होती हैं, इसीलिए त्रिदेवों में शिव (महेश) ही सर्वोच्च आधिपत्य रखते हैं।
द्वितीय अर्थ में शिव भोग के समय विषय रूप धारण कर लेते हैं और मोक्ष काल में एकाग्रवृत्ति के बन जाते हैं, इसलिए शिव को शम्भू कहा जाता है। शम्भू के स्थान पर शिव को शम्भो भी कह दिया जाता है।
शं भवयसि च भवसे शं च भवसि चेति वा देव।
त्वं देवदारुविपिने लिग्ङे प्रथितोस्यत: शम्भु:।।
इसका अर्थ है की हे देवा आप आनंद उत्पन्न करके स्वंय उसका भोग भी करते हैं और आप ही सुखस्वरूप हैं। देवदारु के वन में आपका शम्भू लग कहा जाता है और इसीलिए ही आप भी शम्भू हैं। शिव का आनंद प्राप्ति रूप ही शम्भू कहा जाता है।
स्वयं-भू : जो स्वंय में जन्में हो, जनम मरण से परे हों, सर्वत्र व्याप्त हों शम्भू है।
शम्भू’, शब्द एक अपभ्रंश शब्द (मूल शब्द से बिगड़ कर बना शब्द) है। मूल शब्द है ‘स्वयंभू’। स्वयंभू शब्द का अर्थ है ‘जो स्वयं उत्पन्न हुआ हो’ भाव है की जो पृथ्वी/भूमि से निकला, प्राकृतिक रूप से निकला, उत्पन्न हुआ या प्रकट हुआ हो, स्वंय की इच्छा के अधीन ही जो प्रकट होता हो।
नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च । यजुर्वेद १६/४१
शंभु (संज्ञा पुं० ) जिसका अर्थ शिव, महादेव , ग्यारह रुद्रों में से एक जो प्रधान रुद्र हैं, स्वयं ही उत्पन्न। स्वयंभू का अर्थ होता है, पृथ्वी या भूमि से स्वयं निकला हुआ मतलब की प्राकृतिक।
श्री शिव के १२ प्रमुख नाम : सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमाशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथ, त्र्यबकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। इन नामों के जाप मात्र से ही सभी संकट दूर होते हैं।
एकाक्षरी महामृत्युंजय मंत्र- 'हौं' .
इस मंत्र के जाप से स्वास्थ्य सुधरता है और बीमारियां दूर होती हैं। सुबह उठकर इस मंत्र का जाप करना लाभकारी माना जाता है।
त्रयक्षरी महामृत्युंजय मंत्र- 'ऊं जूं स:'
जीवन में आने वाली तमाम छोटी बड़ी बढ़ाएं दूर होती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य में भी वृद्धि होती है। इस मंत्र का २७ बार जाप अत्यंत ही शुभ परिणाम देने वाला होता है।
चतुराक्षी महामृत्युंजय मंत्र- 'ऊं हौं जूं स:'
इस मन्त्र से दुर्घटनाएं पास नहीं आती हैं।
दशाक्षरी महामृत्युंजय महामंत्र- 'ऊं जूं स: माम पालय पालय'
इसे अमृत मृत्युंजय मंत्र भी कहते हैं। इस दशाक्षरी महामृत्युंजय महामंत्र के जाप से आयु वृद्धि होती है और स्वास्थ्य भी सुधरता है।
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