अगर श्याम से नाता है तो क्यों गबराता है - Agar shyaam se naata hai to kyon gabaraata hai - Bhajan Lyrics
अगर श्याम से नाता है तो क्यों गबराता है,
दुनिया के आगे तू क्यों हाथ फैलता है,दुनिया का हर सेठ सेठ से मांग के खाता है,
अगर श्याम से नाता है तो क्यों गबराता है,
चल श्याम के पाँव पकड़ ले,
तू चौकठ पे इनकी नाक रगड़ ले,
चौकठ पे गिरतो को ये रोज उठता है,
भाह पकड़ कर प्रेमी की फिर गले लगता है,
अगर श्याम से नाता है तो क्यों गबराता है,
क्यों रोता है दीवाने दीवाने,
हर प्रेमी का दुःख बाबा पहचाने,
आंसू पौंछ के प्रेमी को ये धीर बांधता है,
धीर बंधा कर खुशियों के ये ढेर लगता है,
अगर श्याम से नाता है तो क्यों गबराता है,
झोली छोटी पड़ जाये पड़ जाये,
जब देने पर सांवरिया अड़ जाये,
जो भी इनके दर आकर झोली फैलता है,
बन के प्रेमी श्याम का वो फिर मौज उडाता है,
अगर श्याम से नाता है तो क्यों गबराता है,
क्यों समय करे तू खोटा खोटा ,
है सांवरियां सेठ जगत में मोटा,
रोमी की जो भी मिला वो भूल न पाता है ,
इसी लिए वो देखो श्याम की महिमा गाता है,
अगर श्याम से नाता है तो क्यों गबराता है,